Nadan dil - 1 in Hindi Fiction Stories by Divya Sharma books and stories PDF | नादान दिल - 1

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नादान दिल - 1



"वक्त किसी के लिए नहीं रुकता स्वप्निल।"
"हाँ निशा!सच में वक्त से बड़ा बेवफा कोई नहीं।"निराशा से स्वप्निल ने आह् भरी।
एक खामोशी पसर गई दोनों के बीच।श्वेत धवल चाँदनी में निशा आँखों को भिगोती...सुबकती रही।स्वप्निल उसे तसल्ली देना चाहता था लेकिन हाथ रूक जाते।आँसुओं के वेग को अपने अंदर रोका हुआ था पता नहीं कब सैलाब बन उमड़ पड़े।
"यह अंतिम मुलाकात होगी हमारी..........।"
"......."
"कुछ कहोगे नहीं!"वह बोली।
"सिर्फ इतना कि बहुत प्यार करता हूं तुम्हें।"कह निशा को सीने से लगातार वह फफक पड़ा।दोनों के क्रंदन से शांत झील भी बेचैन हो रही थी।एक अजीब सा शोर था।
"इस समय को रोक लो ना!रोक लो स्वप्निल।मैने तुम्हें अपना मन सौंप दिया अब तन किसी और को कैसे दे दूँ।नहीं कर सकती ऐसा।"
"लेकिन निशा...."
"मुझे कुछ नहीं सुनना।"
"तुम मुझ पर भरोसा करती हो ना?"
"हाँ सिर्फ तुम पर।"
"फिर चलो हम वक्त को धकेल देते हैं।वक्त हमें नहीं जुदा कर पायेगा।"
छपाक....।।।।
एक आवाज .......और फिर से सब खामोश हो गया।झील में हलचल बस कुछ देर थी।


“कट कट कट!”शानदार शॉट ,वाह!मैड़म गजब का परफॉर्मेंस।”डायरेक्टर जोर से चिल्लाया।

दोनों अभी भी अपने किरदार में खोये थे।डायरेक्टर की आवाज से तिन्द्रा भंग हुई।हीरो तेजी से हाथ छुडा कर अपने प्रशंसकों की ओर चल पड़ा।

वह वहीं खड़ी थी खामोश।कुछ नमी आँखों के बीच अभी भी मौजूद थी।तभी एक भीड़ का रेला उसकी ओर दौड़ा और वह हमेशा की तरह अपनी वेनिटी वैन में।

वो खामोश अपनी वैन में बैठी थी।उसकी हेयरस्टाइलिस्ट उसके बालों को संवार रही थी।पर उसकी नजर खामोश बैठी मेघना पर ही थी।पूरे एक साल से वह मेघना को अपनी सेवा दे रही थी और जल्द ही विश्वासपात्र बन चुकी थी।वह लगातार नोटिस कर रही थी कि जब भी कोई ऐसा सीन होता तो मेघना मैड़म असहज हो जाती और खामोशी से वैनिटी वैन में आकर बैठ जाती।आज भी वही हुआ।

पर आज उसनें निश्चय कर लिया था कि वह मैड़म से पूछकर रहेगी कि आखिर ऐसा क्यों है।इसी उधेड़बुन में थी कि उसके हाथों से मेघना के बाल ब्रश में उलझ गए।

"उफ्फ...., क्या कर रही हो ध्यान से करों।सारे बाल तोड़ दिए।ध्यान कहाँ है तुम्हारा?"

"ओह्!माफ करना मैम गलती हो गई।"

"ध्यान से करों।"

"जी मैम।"

"क्या सोच रही हो आज?ऐसा पहले तो नहीं हुआ।"

"मैम वो....."

"क्या वो!बोलो।"

"आप बुरा तो नहीं मानोगे?"उसने डरते हुए कहा।

"छूट्टी चाहिए क्या?"

"नहीं मैम"

"फिर।"

"मैं बहुत दिनों से नोटिस कर रही हूं आपको।आप हर सीन में एकदम नॉर्मल रहते हो लेकिन जब भी ऐसा कोई प्रेम पर सीन या बिछडने का कोई सीन आपको करना होता है तो आप असहज हो जाती हैं।इतनी खामोशी क्यों आ जाती हैं?"

"कुछ बातों का जवाब नहीं होता।"

"पर मैम आपको परेशान देखकर मुझे अच्छा नहीं लगता।"उसनें कहा।

"क्यों परेशान होती हो मेरे लिए?मैं सिर्फ तुम्हारी क्लाइंट ही तो हूँ।"मुस्कुरा कर मेघना ने कहा।

"पता नहीं मैम,मुझे एक लगाव हो गया है आपसे।इसलिए चिंतित हो जाती हूँ।"

"तुम्हारे मन का वहम है ये।ऐसा कुछ नहीं है।यह मेरे अभिनय का एक हिस्सा मात्र है।"कहकर मेघना वैन के दूसरे छोर पर चली गई।

कुछ तो था जो उसे कचोट रहा था।चेहरे पर मायूसी दिख रही थी जिसे छूपाने की वह कोशिश कर रही थी।सिगरेट निकाल उसे सुलगा कर वह लम्बे कश लेने लगी।शायद कुछ अंदर भी सुलग रहा था...।।


क्रमशः


दिव्या राकेश शर्मा।




दिव्या राकेश शर्मा।